➤ संजौली मस्जिद मामले में वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट से रिट याचिका वापस ली
➤ नए सिरे से याचिका दायर करने की अनुमति मिली, MC आयुक्त पहले ही गिराने के आदेश दे चुके
➤ जिला अदालत ने भी 3 मई 2025 के आदेश को सही ठहराते हुए 30 दिसंबर तक ढांचा हटाने को कहा
संजौली मस्जिद मामले में सोमवार को हिमाचल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मस्जिद को गिराने के MC आयुक्त के आदेशों को चुनौती देने वाली रिट याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर बहस के दौरान वक्फ बोर्ड ने अपनी याचिका वापस ले ली। बोर्ड ने हाईकोर्ट से नए सिरे से याचिका दाखिल करने की अनुमति मांगी, जिसे जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने मंजूरी दे दी।
इससे पहले, शिमला नगर निगम आयुक्त ने कोर्ट और जिला अदालत के आदेशों के आधार पर मस्जिद को गिराने के निर्देश जारी किए थे। वक्फ बोर्ड ने इन्हीं आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वक्फ बोर्ड का तर्क है कि मस्जिद उनकी जमीन पर कई दशक पहले बनी, और नया निर्माण पुराने ढांचे को हटाकर किया गया है। हालांकि, वक्फ बोर्ड कोर्ट में जमीन पर कब्जा और मस्जिद का नक्शा साबित नहीं कर पाया, जिसके बाद MC आयुक्त ने 3 मई 2025 को पूरी मस्जिद गिराने के आदेश दे दिए।
इसके बाद वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने इन आदेशों को जिला अदालत में चुनौती दी, लेकिन 30 अक्टूबर 2025 को जिला अदालत ने भी MC आयुक्त के आदेश सही ठहराए और 30 दिसंबर 2025 तक अवैध ढांचा हटाने के आदेश दिए।
सिलसिलेवार घटनाक्रम
संजौली मस्जिद विवाद की शुरुआत बीते साल तब हुई जब 31 अगस्त 2024 को मैहली में दो गुटों के बीच लड़ाई के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया। आरोप है कि झगड़े में शामिल कुछ लोग संजौली मस्जिद में छिप गए, जिसके बाद 1 सितंबर को मस्जिद के बाहर प्रदर्शन हुआ और मामला प्रदेशभर में फैल गया।
11 सितंबर 2024 को संजौली में एक बार फिर उग्र प्रदर्शन हुआ। पुलिस ने स्थिति नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग और पानी की बौछार तक की। इसी दौरान, 12 सितंबर को मस्जिद कमेटी निगम आयुक्त कोर्ट में पहुंची और अवैध हिस्से को हटाने की पेशकश की।
इसके बाद 5 अक्टूबर 2024 को निगम आयुक्त ने मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलें गिराने के आदेश दिए। ऊपर की दो मंजिलें तोड़ी भी गईं। फिर 3 मई 2025 को पूरी मस्जिद गिराने का निर्देश जारी किया गया।
वक्फ बोर्ड ने इन आदेशों को जिला अदालत में चुनौती दी, लेकिन अदालत ने MC आयुक्त का निर्णय बरकरार रखते हुए ढांचा हटाने की समयसीमा तय कर दी।
निगम आयुक्त कोर्ट में यह मामला लगभग 50 बार लगा, और हाईकोर्ट के निर्देशों पर ही अंततः 3 मई का आदेश पारित हुआ।



